बस्ती की आवाज़ – कोविद-१९ के लोखड़ौन में बाल विवाह का संकट

September 17, 2020
21 mins read

Hasina Shaikh
PROJECT COORDINATOR

मेरा नाम हसीना शेख़ है और मैं पिछले ४ साल से प्रेरणा के सन्मान प्रोजेक्ट में काम कर रही हूँ | मेरा प्रेरणा से नाता २०१६ में इंटर्नशिप करते हुए हुआ जब मैं  एस. एन. डी. टी यूनिवर्सिटी से MSW कर रही थी | इन् ४ साल के अनुभव में मैंने बहुत सारी केसेस देखी है और आज मैं आप सब को उनमे से एक केस के बारे में बताना चाहती हूँ | ये केस एक ऐसी बच्ची के बारे में है जिसको हमने बाल विवाह से बचाया |

सन्मान प्रोजेक्ट उन बच्चों के साथ काम करता है जिनसे भीख मंगवाया जाता है |  ये प्रोजेक्ट एडुको द्वारा समर्थित है | एडुको एक अंतराष्ट्रीय NGO है जो बाल अधिकार के छेत्र में दुनिया भर में काम करते है | एडुको भारत में १९८९ से काम कर रहा है और यहां पर महाराष्ट्र के ८ जिलों में वहां के स्थानीय NGOs के साथ उनकी साझेदारी है | ‘आउटरीच’ सन्मान का एक बहुत महत्वपूर्ण पहलू है जिसके माध्यम से हमारा टीम मुंबई और नवी मुंबई में इन् बच्चों के साथ उनके विकास और सुरक्षा को लेकर कार्य करता है | हम सन्मान के टीम मेंबर्स पिछले दो सालों से चेम्बूर के जय आंबे नगर कम्युनिटी में आउटरीच कर रहे है जहाँ हम हमारे आउटरीच के माध्यम से बच्चो का विकासात्मक गतिविधियों को सुनिश्चित करते है | आउटरीच के माध्यम से हम इस कम्युनिटी के लगभग सारे बच्चो के साथ काम करते हैं | इस कम्युनिटी की ऐसी ही एक बच्ची है मालिनी जिसके बारें में आज मैं आपको बताउंगी |

कोविद-१९ के लिए लोखड़ौन शुरू होने के कारण हमारे टीम मेंबर्स घर से काम कर रहे थे | इस दरमियान हमारा पूरा आउटरीच फ़ोन के माध्यम से हो रहा था और हम हमारे सभी बच्चो को और उनके परिवार को कांटेक्ट करके उनकी खुशियाली उनके ज़रूरतें और उनकी परेशानिया समझ के सुलझाने की कोशिश कर रहे थे | जून के महीने में अचानक एक दिन मेरे व्हाट्सप्प में मालिनी के नाम से एक सन्देश आया जहाँ यह लिखा था “दीदी प्लीज कॉल करो अर्जेंट काम है” |  सन्देश मिलते ही मैंने तुरंत उस नंबर पे फ़ोन लगाया पर एक भी कॉल नहीं लगा | फ़ोन से संपर्क न होने के कारण दूसरे ही दिन मैं और मेरी एक टीम मेंबर ने चेम्बूर कम्युनिटी जाकर मालिनी से कांटेक्ट करने की कोशिश की | कम्युनिटी जाते वक़्त लोखड़ौन के वजह से मुझे टैक्सी पाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा | मेरे घर के पास से मुझे टैक्सी मिलने में कम से कम डेढ़ घंटा लगा और टैक्सी के अलावा उस वक़्त यात्रा करने का कोई साधन भी नहीं था |  हमारे विजिट के दौरान बच्ची चेम्बूर कम्युनिटी में नहीं थी पर कम्युनिटी के कुछ दूसरे बच्चों ने हमें बताया के बच्ची अभी विखरोली के एक बिल्डिंग में कंस्ट्रक्शन का काम करती हैं | इसी जानकारी के साथ हम उस दिए हुए पते पर गए पर वहां से भी हमें यह बोलकर दिशाभूल कराया गया कि बच्ची वहां नहीं है | वो लोग सच नहीं बोल रहे है ऐसा शक होने पर हम कंस्ट्रक्शन साइट के अंदर मालिनी को ढूंढने गए |अंदर पहुँचते ही हमको बच्ची की आवाज़ सुनाई दी | हमें देख के बच्ची वहां से बाहर आयी और धीमे आवाज़ में बोली ‘दीदी मेरी मदत करो वरना मेरे घरवाले मेरी शादी करा देंगे| बात करते वक़्त मालिनी की दादी वहां खड़ी थी जिसके वजह से हम उस वक़्त बच्ची से ज़्यादा बात नहीं कर पाए | थोड़ी देर दूसरी बातें करने के बाद बच्ची फिर से बोली “घरवाले अजीत नाम के ३० साल के ऊपर के एक आदमी से मेरी शादी करा रहे है | वो आदमी दरअसल मेरी बड़ी बहन को शादी के लिए देखने आया था लेकिन उसने पसंद मुझे किया | दीदी मैं अभी बस १६ साल की हूँ और मैं शादी नहीं करना चाहती |”

मालिनी इस साल दसवीं कक्षा की परीक्षा दे चुकी है और वो और पढ़ना चाहती है | उस दिन बच्ची से उसके बारें में सारी जानकारी लेकर हमने उसको शांत करने की कोशिश की और उसे मदत करने का वादा किया |

हमारी टीम ने परिस्थिति की एहमियत को देखकर और जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की जहाँ से हमें पता चला कि बच्ची की शादी अगले महीने के २ तारिक (२ जुलाई) को होने वाली है | यह जानके तुरंत हमने मुंबई उपनगर के जिला बाल संरक्षण विभाग (डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट) और बाल कल्याण समिति (चाइल्ड वेलफेयर समिति) को फ़ोन पर और ईमेल के माध्यम से सारी बातें बतायी |

इसके एक दिन बाद हम और डी.सी.पी.यू  के सदस्य बच्ची  के घर गए और बच्ची और उसके घर वालो से फिर से बात की | वहां बच्ची ने हमको बताया कि उसके शादी के बाद दो दिन वो अपने ससुराल में रहेगी जिसके बाद उसको माइका भेज दिया जायेगा और १८ साल तक वो मइके में ही रहेगी | बात करते करते बच्ची ने हमको शादी के सारे सामान भी दिखाएं और बोली “दीदी मुझे किसी भी हाल में ये शादी नहीं करनी|” हमने बच्ची से उसकी सुरक्षा को लेकर बात की और तभी बच्ची ने ये व्यक्त किया कि वो फिलहाल घर में नहीं रहना चाहती है वो पढ़ना चाहती है | जब हमने उसे संस्था में रहने का एक पर्याय बताया तो उसने कहा कि वो वह पर्याय के बारें में सोचना चाहेगी | बच्ची के घरवालों से बात करने पर हमें पता चला की उसके माँ बाप ऐसा इसीलिए कर रहे थे क्यूंकि उनके समाज में ऐसा करना रिवाजी था | उन्होंने ये भी कहा की वो मालिनी की शादी नहीं बस सगाई करा रहे थे | अगर वो मालिनी की सगाई नहीं कराते तो शायद समाज में उनका निरादर किया जाता | हम सब समझ गए की मालिनी के परिवार वाले ये सब सामाजिक दबाव में आ के कर रहे थे | लेकिन फिर भी बच्ची के बात को ध्यान में लेकर उस समय डी.सी.पी.यू  के सदस्य ने सी.डब्ल्यू.सी के अध्यक्ष से बात की और विखरोली पुलिस के मदत से बच्ची को रेस्क्यू किया | बच्ची को ले जाते वक़्त उसके माँ  बाप को बताया गया कि बाल विवाह एक कानूनन अपराध है और समझाया गया की अगर यह विवाह हुई तो सभी घरवालों को बाद में कानूनन तकलीफ हो सकती हैं | ये सारी बातों के बारे में पूरे समाज में भी जानकारी फ़ैल गयी और कहीं न कहीं सारे परिवार को समझ मिली की बाल विवाह एक अपराध क्यों है और उससे बच्चो के मानसिक स्तिथि पर कैसा प्रभाव पड़ सकता है |

बच्ची को रेस्क्यू करके सबसे पहले उसकी चिकित्सा जाँच की गयी जिसके बाद उसको एक संस्था के बारें में जानकारी देकर वहां कुछ दिनों के लिए रखा गया | संस्था में जाने के बाद मालिनी खुश और तनाव मुक्त थी | हमारी टीम और डी.सी.पी.यू  दोनों ही बच्ची से नियमित रूप से बात कर रहे थे ताकि उसे कभी संस्था में अकेले महसूस न हो | बच्ची के संस्था में रहते वक़्त डी.सी.पी.यू  के सदस्य ने निरंतर मालिनी के घरवालों से बात की और उन्हें बाल विवाह के दुष्परिणाम के बारे में समझाया | इसके बाद उसके घरवालों ने ये वादा किया की वो बच्ची की शादी नहीं करवाएंगे और उसके पढ़ने के इच्छा में बाधा नहीं आने देंगे | सारी परिस्थिति को देखते हुए, मालिनी की इच्छा को समझते हुए और माँ-बाप के इसी वादे के साथ सी.डब्ल्यू.सी ने फैसला लिया की मालिनी को उसके माता पिता के पास १० जुलाई को बहाल किया जायेगा | अभी हमारे टीम, सी.डब्ल्यू.सी और डी.सी.पी.यू  हर वक़्त सतर्क है,  नियमित रूप से मालिनी का ‘फॉलो उप’ कर रहे है और यह निश्चित करने की कोशिश कर रहे है के बच्ची के घर वाले अभी फिर से उसकी शादी कराने की कोशिश न करे | आगे बढ़ते हुए हम बच्ची और उसके परवार वालो में ये जागरूकता पैदा करने की कोशिश करेंगे ताकि उन्हें समझ में आएं की बाल विवाह से मालिनी को क्या तकलीफ हो सकती है | हम ये भी चाहते है की मालिनी और उसके माँ बाप सिर्फ प्रेरणा पर निर्भर न रहे | हम उन्हें और भी समर्थको से जोड़ेंगे ताकि उनको अगर ज़रूरत पड़े तो वो उनसे भी मदत ले सकें|

मालिनी के केस को लेकर जब हम काम कर रहे थे उसी समय हमें महाराष्ट्र के कोल्हापुर जैसे जिल्हो से भी जानकारी मिली के वहां पे भी इसी तरह बच्चिओं के साथ बाल विवाह रोका गया | उसी के साथ हमारे देश के बाकी के राज्यों से भी इसी प्रकार के घटना की जानकारी आ रही थी | कमज़ोर वर्ग के सबसे आलोचनिये लोग COVID-19 के लोखड़ौन के वजय से ज़्यादा संकट में है | और उनकी मदत करने के लिए हमारी टीम भी लोखड़ौन के वजह से फील्ड पर नहीं जा पा रही है | इसी कारण हमारे कोशिश करने के बावजूद भी कुछ ऐसी दिक्कतें आ रही है लेकिन हम पूरी तरह से कम्युनिटी का साथ दे रहे है | इस वजय से हमारी टीम हमेशा सतर्क रहती है और कोशिश करती है की वो हर्र बच्चे से फ़ोन पर ज़रूर बात करें |

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