अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की सुप्रीम कोर्ट में दलील- पोकसो के लिए जरूरी नहीं स्किन टू स्किन टच
तारीख: 30 सितंबर, 2021
स्रोत (Source): टीवी9 भारतवर्ष
तस्वीर स्रोत : टीवी9 भारतवर्ष
स्थान : मुंबई
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हाईकोर्ट के उस फैसले को खारिज किया जाए, जिसमें पोकसो के तहत अपराध के लिए स्किन टू स्किन टच अनिवार्य की बात की गई है. उन्होंने कहा कि कोर्ट का यह फैसला गलत नजीर पेश करेगा. पोकसो के तहत स्किन–टू–स्किन टच अनिवार्य नहीं है.
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इसे खारिज करने की गुहार लगाई. वहीं राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इसपर संज्ञान लिया है और अर्जी दाखिल करके बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है.
बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने एक आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि एक नाबालिग लड़की को कपड़ों पर से टटोलना पोकसो की धारा-8 के तहत ‘लैंगिक उत्पीड़न’ का अपराध नहीं होगा. हाई कोर्ट का कहना था कि पोकसो की धारा-8 के तहत अपराध को आकर्षित करने के लिए ‘त्वचा से त्वचा’ संपर्क होना चाहिए. हाई कोर्ट का मानना था कि यह कृत्य आईपीसी की धारा-354 आईपीसी के तहत ‘छेड़छाड़’ का अपराध बनता है.
27 जनवरी को तत्कालीन चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने हाईकोर्ट के इस विवादित आदेश के अमल पर रोक लगा दी थी. पीठ ने छह अगस्त को इस मामले में वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे को न्याय मित्र नियुक्त किया था. उपरोक्त मामले के साथ, सुप्रीम कोर्ट बॉम्बे हाईकोर्ट के एक और उस विवादास्पद फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र राज्य द्वारा दायर अपील पर भी विचार कर रहा है, जिसमें कहा गया था कि नाबालिग लड़की का हाथ पकड़ने और पैंट की जिप खोलने का कार्य पोकसो के तहत लैंगिक हमले की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता.
पिछले महीने भी भारत के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से बॉम्बे हाईकोर्ट के उस विवादास्पद फैसले को पलटने का आग्रह किया, जिसमें कहा गया है कि पोकसो के तहत लैंगिक उत्पीड़न का अपराध तब तक नहीं बनेगा जब तक कि आरोपी और नाबालिग के बीच सीधे तौर पर ‘स्किन टू स्किन टच’ नहीं हो. अटॉर्नी जनरल ने जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ के समक्ष कहा था कि बॉम्बे हाईकोर्ट का यह फैसले एक ‘खतरनाक और अपमानजनक मिसाल’ है. उन्होंने कहा कि उस फैसले का मतलब यह होगा कि एक व्यक्ति जो सर्जिकल दस्ताने पहनकर एक बालक का लैंगिक शोषण करता है तो उसे बरी कर दिया जाएगा.