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इस स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर प्रस्तुत

इस स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर प्रस्तुत हैं बहुभाषीय एकता गीत “मिले सुर मेरा तुम्हारा” के बोल। इस गीत को हम सब ने दूरदर्शन पर देखा सुना होगा, पर बोल प्रायः हमें उन्हीं भागों के आते हैं जो हमारी जानी-पहचाही भाषाओं में हैं। हिन्दी-फोरम याहूग्रुप पर मैंने पिछले वर्ष एक वार्ता-सूत्र आरंभ किया था, इस गीत के बोल पूरे लिखने के लिए — हर भाषा में, हर लिपि में। बहुमूल्य सहयोग मिला समूह के सदस्य अरविन्द अयंगार का, जो हैं तो इंजीनियरिंग के छात्र, पर दर्जनों देशी-विदेशी भाषाओं और लिपियों को जानते-पहचानते हैं। अन्य लोगों से भी सहयोग माँगा गया ताकि वे अपनी अपनी मातृभाषा में लिखे भागों को सही कर सकें, पर फिर बात रह गई। अब इस चिट्ठे के द्वारा वह सहयोग मैं दोबारा माँग रहा हूँ। बोल नीचे पढ़ें और गीतlistenयहाँ सुनें। रोमन लिपि में गीत को यहाँ पढें, और विभिन्न लिपियों में यहाँ (बहुभाषीय यूनिकोड फाँट आवश्यक)।

(हिन्दी) मिले सुर मेरा तुम्हारा तो सुर बने हमारा
सुर की नदिया हर दिशा से बह के सागर में मिले
बादलों का रूप ले कर बरसे हल्के हल्के
मिले सुर मेरा तुम्हारा तो सुर बने हमारा
मिले सुर मेरा तुम्हारा …

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