अपर्याप्त सबूतों के कारण प्रतिदिन बाल लैंगिक उत्पीड़न के चार पीड़ित न्याय से वंचित: अध्ययन
तारीख: 09 मार्च, 2021 स्रोत (Source): द वायर
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स्थान: भारत
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर
कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन की ओर से अध्ययन रिपोर्ट जारी की गई. इस रिपोर्ट के मुताबिक हर वर्ष बालकों/बालिकाओं के लैंगिक
शोषण के तकरीबन 3000 मामले निष्पक्ष सुनवाई के लिए अदालत तक पहुंच ही नहीं पाते. इस कारण से हर दिन लैंगिक शोषण के शिकार चार बालकों को
न्याय से ही वंचित कर दिया जाता है, क्योंकि
पुलिस पर्याप्त सबूत नहीं जुटा पाती है. इससे ऐसे मामलों की जांच को पुलिस अदालत में
आरोपपत्र दायर करने से पहले ही बंद कर दिया जाता है.
इस अध्ययन के मुताबिक, इनमें
से 99 फीसदी मामले बालिकाओं के लैंगिक शोषण के होते हैं. इस अध्ययन के निष्कर्ष में ऐसा पाया गया है कि “2017 से 2019 के बीच उन मामलों की संख्या
बढ़ी है, जिन्हें पुलिस ने आरोप पत्र दायर किए बिना प्राथमिक जांच के बाद बंद कर दिया. पोकसो
के हर साल कम से कम 3,000 ऐसे मामले निष्पक्ष सुनवाई के लिए अदालत ही नहीं पहुंच सके,
जिनके संबंध में प्राथमिकी दर्ज की गई थी और जिनकी जांच शुरू की गई थी. एनसीआरबी आंकड़ों
से यह बात सामने आई है कि पुलिस ने बिना आरोप पत्र दायर किए जो पोकसो मामले बंद किए हैं या जिनका
निपटारा किया है, उनमें से बड़ी संख्या में मामलों को बंद करने का कारण दिया गया है
कि मामले सही हैं, लेकिन पर्याप्त
सबूत नहीं हैं.