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नाबालिग से ओरल सेक्स पर इलाहाबाद काेर्ट ने कहा, यह कृत्य एग्रेटेड पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट या गंभीर लैंगिक हमला नहीं है

तारीख: 23 नवंबर, 2021
स्रोत (Source): सुदर्शन न्यूज़

तस्वीर स्रोतसुदर्शन न्यूज़

स्थान : उत्तर प्रदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ओरल सेक्स को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाते हुए नाबालिग के साथ ओरल सेक्स के एक मामले की सुनवाई में कहा है कि ‘गंभीर लैंगिक हमला’ नहीं माना है. बता दें कि कोर्ट ने करते हुए यह निर्णय दिया. हाईकोर्ट ने बालक के साथ ओरल सेक्स के एक मामले में निचली अदालत से मिली सजा को घटा दिया है. इस प्रकार के अपराध को पोकसो एक्ट की धारा 4 के तहत दंडनीय है.

न्यायमूर्ति अनिल कुमार ओझा ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि यह कृत्य एग्रेटेड पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट या गंभीर लैंगिक हमला नहीं है. लिहाजा ऐसे मामले में पोकसो एक्ट की धारा 6 और 10 के तहत सजा नहीं सुनाई जा सकती. बता दें कि हाईकोर्ट ने इस मामले में दोषी की सजा 10 साल से घटाकर 7 साल कर दी, साथ ही उस पर 5 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. सोनू कुशवाहा ने सेशन कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. अपील पर सुनाया.

पूरा मामला यह था कि अपीलकर्ता पर आरोप था कि वह शिकायतकर्ता के घर आया और उसके 10 साल के बेटे को साथ ले गया. उसे 20 रुपये देते हुए उसके साथ ओरल सेक्स किया. सोनू कुशवाहा ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश, पोकसो अधिनियम, झांसी द्वारा पारित उस निर्णय के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में आपराधिक अपील दायर की थी, जिसमें कुशवाहा को दोषी ठहराया गया था.

जिसके बाद अदालत के सामने सवाल यह था कि क्या नाबालिग के मुंह में लिंग डालना और वीर्य गिराना पोकसो एक्ट की धारा 5/6 या धारा 9/10 के दायरे में आएगा. फैसले में कहा गया कि यह दोनों धाराओं में से किसी के दायरे में नहीं आएगा. लेकिन यह पोकसो एक्ट की धारा 4 के तहत दंडनीय है. सेशन कोर्ट ने उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 377 (अप्राकृतिक लैंगिक अपराध) और धारा 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा) और पोकसो एक्ट की धारा 6 के तहत दोषी ठहराया था.

हाईकोर्ट ने कहा कि एक बालक के मुंह में लिंग डालना ‘पेनेट्रेटिव लैंगिक हमले’ की श्रेणी में आता है, जो लैंगिक अपराधों से बालकों के संरक्षण अधिनियम (पोकसो) अधिनियम की धारा 4 के तहत दंडनीय है, परंतु अधिनियम की धारा 6 के तहत नहीं. इसलिए न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा अपीलकर्ता सोनू कुशवाहा को दी गई सजा को 10 साल से घटाकर 7 साल कर दिया.

 

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