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बालकों को गोद लेने वाले विज्ञापनों का स्रोत बताएं ट्विटर और फेसबुक, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मांगी जानकारी

तारीख: 13 जून, 2021
स्रोत (Source): जागरण

तस्वीर स्रोत: जागरण

स्थान: नई दिल्ली

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने रविवार (13 जून) को ट्विटर और फेसबुक समेत सभी इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म से कहा कि वे कोरोना महामारी के चलते अनाथ हुए बालकों को सीधे गोद लेने के लिए पोस्ट किए जा रहे विज्ञापनों के स्रोत की जानकारी दें. आयोग ने उसके निर्देशों का पालन नहीं करने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी है.

एनसीपीसीआर ने कहा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान उसे ऐसी कई शिकायतें मिली हैं और इंटरनेट मीडिया पेज और पोस्ट के बारे में बताया भी गया है, जिसमें कोरोना के चलते अपने माता-पिता को खोने वाले बालकों को गोद लेने के लिए विज्ञापन दिए गए हैं.

ट्विटर, फेसबुक, वाट्सएप और टेलीग्राम को भेजे पत्र में एनसीपीसीआर ने कहा है कि किशोर न्याय अधिनियम का पालन किए बिना किसी भी बालक को गोद लिया जाता है तो यह अवैध और कानून का उल्लंघन होगा. सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पष्ट कहा है कि इस कानून का उल्लंघन कर किसी भी बालक को गोद लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. अवैध तरीके से गोद में शामिल गैर सरकारी संगठनों और व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश भी दिए हैं.

एनसीपीसीआर ने इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म से ऐसे विज्ञापनों के बारे में उसके साथ ही सरकारी एजेंसियों और राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों में बाल अधिकार संरक्षण आयोगों को बताने को कहा है. आयोग ने निर्देशों के पालन या उस संबंध में उठाए गए कदम के बारे में उसे 10 दिन के भीतर बताने को कहा है. आयोग के मुताबिक, कोरोना महामारी के चलते 3,621 बालक अनाथ हुए हैं. इसके अलावा 26 हजार से ज्यादा बालकों के माता या पिता में से किसी एक का निधन हुआ है. 

          

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