बाल संरक्षण आयोग से बालकों की शिकायतें: मम्मी-पापा के झगड़े से घर में घुटन होती है, तनाव से पढ़ भी नहीं पा रहे
तारीख: 17 जनवरी, 2022
स्रोत (Source): दैनिक भास्कर
तस्वीर स्रोत : दैनिक भास्कर
स्थान : राजस्थान
मेम, प्लीज पुलिस काे मेरे घर भेजाे… मम्मी-पापा बहुत झगड़ते हैं… इनकी लड़ाई में मैं पढ़ भी नहीं पा रहा… घर में घुटन होती हैं… रात में नींद में भी उनकी लड़ाई की बातें याद आने से सो भी नहीं पा रहे…. बाल अधिकार संरक्षण आयोग के हेल्पलाइन पोर्टल पर जब 8 साल के मासूम का ऐसा पत्र आया तो सभी चकित रह गए. आयोग के इस पाेर्टल पर ऐसी शिकायतों के अब तक 80 पत्र और डेढ़ हजार से अधिक कॉल आ चुके हैं, जिसमें 8 से 13 साल तक के बालकों घर से परेशान होना बताया है. कई बच्चियों ने ऑनलाइन पढ़ाई की बजाए परिजनों द्वारा किचन में झाेंकने की शिकायतें भी की हैं.
आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने बताया कि कई बालकें ने अपने पत्रों में घर में पर भी जेल जैसा महसूस होने की बात लिखी हैं. ऐसे मामलों का आना ना सिर्फ परिवार बल्कि समाज के लिए भी गंभीर समस्या है. आयोग की अध्यक्ष बताती हैं कि सबसे अधिक गंभीर बात ये है कि पैरेंट्स की पंद्रह दिन से लेकर एक माह तक काउंसलिंग करने के बावजूद उसका असर तीन दिन तक ही रहता है. इसके बाद घरों से फिर इस प्रकार के मामले आने लगते हैं, जो बालकों के मन-मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव डाल रहे हैं.
अधिकतर बच्चे घर में रहना ही नहीं चाह रहे, जबकि एक बच्चे के लिए घर से ज्यादा आरामदायक, सुकून और अपनी इच्छाओं को पूरी करने जैसी कोई और जगह नहीं है. इन मुद्दों को लेकर जब विभाग ने बालकों की काउंसलिंग की तो पाया कि उन्हें स्कूल में जो कुछ अच्छे संस्कार दिए गए उनके जीवन पर उनका असर तो कम पैरेंट्स के व्यवहार का ज्यादा असर दिखाई दिया. जब बच्चियों को व्यवहार आधारित प्रश्नों की सूची देकर जवाब मांगे गए तो 60 प्रतिशत बच्चियां पैरेंट्स द्वारा किए जा रहे अच्छे व बुरे व्यवहार को ही लिखती मिली.
20 प्रतिशत बच्चे कन्फ्यूज्ड व डर से चुप्पी साधे रहे. आयोग की अध्यक्ष ने बताया कि वर्तमान में ऐसे 30 बालकों की काउंसलिंग की जा रही है. 20 केसाें को सुलझाया गया, लेकिन अधिकतर में काउंसलिंग का असर कुछ ही दिन देखा गया. सिर्फ गिने-चुने केसाें में ही पूरी तरह सुधार देखने को मिला.
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