पिछले साल नाबालिगों से दुष्कर्म के 77 फीसदी आरोपी हो गए बरी, पोकसो न्यायालय ने केवल 23 % आरोपियों को दोषी माना
तारीख: 12 फरवरी, 2022
स्रोत (Source): भास्कर
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स्थान : मध्य प्रदेश
नाबालिगों के खिलाफ अपराध रोकने के लिए कड़े कानून तो हैं, लेकिन ना तो अपराध का ग्राफ कम हो रहा है और ना ही अधिकांश मामलों में आरोपियों को सजा हो पा रही. विशेषकर, नाबालिगों से दुष्कर्म के मामलों में आरोपियों को सजा का प्रतिशत बहुत कम है. जिला न्यायालय के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2021 में नाबालिगों से दुष्कर्म के कुल 61 मामलों में पोकसो न्यायालय ने आदेश दिया. इसमें केवल 14 मामलों (23 फीसदी) में ही कोर्ट ने आरोपियों को दोषी माना. शेष 77 फीसदी मामलों में कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया.
वर्ष 2021 में कुल 47 में से 23 मामलों में न्यायालय में पीड़िता दुष्कर्म के आरोप से मुकर गईं. ऐसी स्थिति में आरोपी कोर्ट से बरी हो जाते हैं. हालांकि, एक मामले में पीड़िता के मुकरने के बाद भी डीएनए रिपोर्ट के आधार पर वर्ष 2020 में तत्कालीन विशेष न्यायाधीश ने आरोपी को सजा दी थी.
कुछ मामलों में कोर्ट ने पुलिस के गवाहों के बयान को विरोधाभासी मानते हुए अभियोजन की कहानी को ही झूठा माना. दरअसल, पुलिस ने जिन गवाहों के आधार पर व्यक्ति को आरोपी बनाया, उन्होंने ही घटना की पुष्टि नहीं की. ऐसे मामलों की संख्या भी लगभग 20 है, जिनमें आरोपी को बरी कर दिया गया.
ऐसे मामलों की सुनवाई जल्द से जल्द होनी चाहिए. ट्रायल में जितनी देरी होगी, केस के कमजोर होने की संभावना उतनी है ज्यादा होगी. पूर्व में कई ऐसे मामले देखने में आए हैं, जिसमें पुलिस ने एक माह के भीतर ही चालान पेश किया, ट्रायल भी तीन माह के भीतर पूरी हो गई और आरोपियों को सजा भी हुई. ऐसा करने से ज्यादा से ज्यादा आरोपियों को सजा मिलेगी. काम की अधिकता के कारण जांच प्रभावित ना हो, इसको ध्यान में रखते हुए आपराधिक मामलों की जांच के लिए अलग से इंवेस्टीगेशन विंग होना चाहिए, जबकि कानून व्यवस्था बनाए रखने का जिम्मा अलग विंग के पास होना चाहिए. इससे पुलिस अधिक एकाग्र होकर जांच कर सकेगी. – जस्टिस केके लाहोटी, पूर्व एक्टिंग चीफ जस्टिस, मप्र हाई कोर्ट
पाॅक्सो एक्ट में बयान से मुकरने पर नाबालिग पीड़िता के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का प्रावधान है. हालांकि, यदि किसी अन्य व्यक्ति ने झूठी शिकायत की या गलत जानकारी दी तो उसके विरुद्ध पोकसो एक्ट में कार्रवाई का प्रावधान है. ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने से समाज में कड़ा संदेश जाएगा और पीड़िताओं के मुकरने का प्रतिशत भी कम होगा. – जस्टिस (रिटा.), मप्र हाई कोर्ट
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