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मध्य प्रदेश में कोरोना से अनाथ बच्चों का डेटा हो रहा लीक, राष्ट्रीय बाल आयोग ने आपत्ति जताई

तारीख: 20 मई, 2021
स्रोत (Source): नई दुनिया

तस्वीर स्रोत: Google Image

स्थान: मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में कोरोना से अनाथ हुए बालकों को सरकार पांच हजार रुपये का पेंशन देने वाली है. इसके लिए बालकों का डेटा इकट्ठा किया जा रहा है. कोरोना से अनाथ बालकों का डेटा साझा करने को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मप्र सरकार से रिपोर्ट मांगी है. आयोग को शिकायत मिली है कि मप्र सरकार कोरोना महामारी के दौरान निराश्रित हुए बालकों के पुनर्वास के जो लिए डेटा तैयार करा रही है, वह यूनिसेफ के साथ भी साझा किया जा रहा है. राष्ट्रीय बाल आयोग ने इस पर सख्त आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा है कि यह जुवेनाइल जस्टिस एक्ट (जेजे एक्ट) के खिलाफ है. 

आयोग का कहना है कि स्वयं सेवी संस्था को डेटा साझा करने से आगे चलकर उसका दुरुपयोग होने का खतरा बना रह सकता है. इस मामले में आयोग ने मप्र शासन के चीफ सेक्रेटरी को पत्र लिखकर रिपोर्ट देने के लिए कहा है. इस संबंध में आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो का कहना है कि डेटा साझा करना बाल संरक्षण अधिकार के लिए बने नियम और कानून के खिलाफ है. ऐसे काम को करने के लिए दो सरकारी एजेंसियां डब्ल्यूसीडी और राष्ट्रीय बाल आयोग हैं. आयोग ने सरकार से कहा है कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के 2015 के सेक्शन 74 के मुताबिक बच्चों की पहचान पता उम्र स्कूल नाम आदि की जानकारी किसी तरह से साझा नहीं की जा सकती है. 

इस तरह से एनजीओ को अनाथ बच्चों का डेटा देने से उसके दुरुपयोग की भी आशंका है. उन्होंने कहा कि यूनिसेफ सरकार से डेटा लेने के लिए अधिकृत भी नहीं है. आयोग का कहना है कि जुवेनाइल एक्ट 2015 के सेक्शन 2(14) के तहत ऐसे बच्चे जिन्होंने अपने माता पिता को खो दिया है और निराश्रित है, उनका संरक्षण सेक्शन 31 के तहत बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के माध्यम से किया जाना चाहिए. आयोग ने सरकार से कहा है कि वह यह सुनिश्चित करे कि किसी भी कीमत पर बच्चों से जुड़ी जानकारी लीक ना हो. 

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