‘मेन्स लाइव्स मैटर’: कानून के छात्रों ने लैंगिक अपराधों पर ‘जेंडर न्यूट्रल’ प्रावधानों की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया
तारीख: 14 अगस्त, 2021
स्रोत (Source): लाइव लॉ
तस्वीर स्रोत : लाइव लॉ
स्थान : नई दिल्ली
दो लॉ स्टूडेंट्स ने महिलाओं के खिलाफ लैंगिक अपराधों से संबंधित भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों पर पुनर्विचार और संशोधन के निर्देश की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, ताकि उन्हें ‘जेंडर न्यूट्रल‘ बनाया जा सके. याचिकाकर्ताओं ने आईपीसी के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए कानूनों पर पुनर्विचार करने के लिए निर्देश देने की मांग की है, जिसमें लैंगिक उत्पीड़न (354A-354D), बलात्कार (धारा 376), आपराधिक धमकी (धारा 506), महिलाओं के मर्यादा का अपमान (धारा 509) और महिलाओं के प्रति क्रूरता (498A) शामिल है. याचिकाकर्ता ने साथ ही कहा कि पुरुषों के जीवन का मामला (मेन्स लाइव्स मैटर) है.
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि ऐसे प्रावधान लिंग के आधार पर भेदभावपूर्ण करते हैं और पुरुषों की समानता के मौलिक अधिकार को प्रभावित करते हैं और इसलिए संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 (1) का उल्लंघन है. याचिका में कहा गया है कि, “नकली नारीवाद ने देश को प्रदूषित किया है. जनता का आकर्षण हासिल करने के लिए लड़कियां निर्दोष पुरुषों पर हमला करके नकली नारीवाद का काम करती हैं. नकली नारीवाद का सहारा लेकर महिलाएं जानबूझकर पुरुषों पर हमला करती हैं और मासूम लड़कों की गरिमा और सम्मान को नष्ट करती हैं. कानून ने महिलाओं को बिना किसी उचित प्रतिबंध के धारदार हथियार जैसे शक्ति प्रदान की है.
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