कोविड काल में उपेक्षित महिलाओं तक मदद पहुंचाने वाले श्रीमान कैलाश पगारे का साक्षात्कार
Arjun Singh
Project Coordinator
श्रीमान कैलाश पगारे (आईएएस) महाराष्ट्र सरकार में कंट्रोलर ऑफ रैशनिंग एंड डायरेक्टर ऑफ सिविल सप्लाइज के पद पर तैनात हैं. कोविड-19 काल के दौरान रेड लाइट एरिया की महिलाओं तक राशन व अन्य जरूरी सामान पहुंचाना उनके कार्यालय की देखरेख में सुनिश्चत हुआ था. उन्होंने रेड लाइट एरिया की महिलाओं को राशन कार्ड दिलाने में हमारी भी मदद की है. इस महिला दिवस के मौके पर हमने पगारे जी से बात कर उपेक्षित वर्ग के लोगों तक घरेलू सामान की आपूर्ति सुनिश्चित करने के कार्य से जुड़े उनके अनुभव को जानने की कोशिश की.
क्या आप हमारे साथ अपने शुरुआती दिनों के बारे में थोड़ी जानकारी साझा करेंगे और आप कैसे लोक सेवा (सिविल सर्विस) से जुड़े?
मैं महाराष्ट्र के जालना के एक छोटे से गांव से आता हूं। मेरे माता-पिता पढ़े लिखे नहीं थे, लेकिन वह चाहते थे कि मैं पढ़ लिख सकूं. मैंने अपनी सातवीं कक्षा तक की पढ़ाई अपने गांव में ही की और उसके बाद औरंगाबाद चला गया, क्योंकि आगे की पढ़ाई करने के लिए हमारे गांव में कोई सुविधा उपलब्ध नहीं थी. मैंने वसंतराव नाइक मराठवाडा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी से अपने स्नातक (ग्रेजुएशन) की पढ़ाई पूरी की. हमारे विश्वविद्यालय में अधिकांश लोग प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते थे और वहां के माहौल में रहकर मुझे लोक सेवा के बारे में पता चला. मैं पिछले 27 वर्षों से एक आईएएस अधिकारी के रूप में अपनी सेवा दे रहा हूं.
2020 वैश्विक रूप से काफी चुनौतीपूर्ण साल रहा है. कोविड-19 जैसी महामारी के बीच लोगों तक राशन पहुंचाने का कार्य करने का आपका अनुभव कैसा रहा?
जनवरी 2020 में कोराना वायरस को लेकर कुछ चर्चा हो रही थी, लेकिन हमने कभी सोचा नहीं था कि हालात इतने भयावाह हो जाएंगे. लॉकडाउन से कुछ दिनों पहले, मुख्यमंत्री कार्यालय में हमारी एक बैठक हुई, जहां हमने अगर लॉकडाउन लगाया जाता है तो हम कैसे प्रबंधन करेगें पर चर्चा की. सार्वजनिक वितरण प्रणाली से लाभान्वित होने वाले 19,46,000 लोगों को प्राथमिक परिवारों में शामिल किया जाता है. मैंने विभिन्न खुदरा व थोक विक्रेता श्रंखला के प्रतिनिधियों से मुलाकात की, जिससे यह मालूम हुआ कि उनके पास लगभग 2 हफ्ते का राशन है. यह प्रणाली आपूर्ति श्रृंखला के आधार पर काम करती है, कोविड-19 के दौरान महाराष्ट्र के सभी घरों तक राशन की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए हमने अन्य राज्यों से भी मदद ली.
आप यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत संवेदशील थे कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली का लाभ रेड लाइट एरिया में रहने वाली महिलाओं तक भी पहुंचे. हमें इसके बारे में थोड़ा और बताएं.
रेड लाइट एरिया में रहने वाली अधिकांश महिलाओं की पहुंच राशन कार्ड तक नहीं है. मैं यह सुनिश्चित करना चाहता था कि कोविड-19 के दौरान इन महिलाओं तक भी राशन व अन्य जरूरी सामान पहुंचे, तो मैंने प्रेरणा जैसे अपने सहयोगी से बात की और जाना कि हम कैसे इन महिलाओं तक मदद पहुंचा सकते हैं. आत्मनिर्भर य़ोजना की घोषणा होने से हमारे लिए चीजें आसान हो गई क्योंकि अब हम बिना राशन कार्ड देखे भी राशन का वितरण कर सकते थे. इस वितरण का लाभ लेने के लिए शख्स के पास सिर्फ आधार कार्ड का होना जरूरी था. मैंने उपेक्षित समूह के लोगों तक सेवा पहुंचाने के लिए दृढ़ संकल्प लिया था. महिला व बाल विकास विभाग में काम करने के अनुभव से मैंने सीखा था कि रेड लाइट एरिया में रहने वाली महिलाओं, ट्रांसजेंडर, लोगों के घरों में काम करने वाली महिलाएं व महिला मजदूरों को अक्सर कई मामलों में शामिल नहीं किया जाता है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि ऐसे लोगों तक भी जरूरी सामान पहुंच सके मैंने लोगों से पूछा, उनकी राय ली. साथ ही मेरे मन में इनकी मदद का करने का संकल्प था.
रेड लाइट एरिया में रहने वाली महिलाओं को अक्सर दस्तावेजी करण के कार्यों में विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि इन क्षेत्रों में रहने वाली महिलायें लंबे समय के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली का हिस्सा बनी रहें, यह सुनिश्चित करने के लिए हमें क्या करना चाहिए? आपका क्या विचार है?
कोविड-19 के दौरान शुरू की गई योजना अस्थायी है, अगर उच्चतम न्यायालय इन उपेक्षित महिलाओं तक राशन पहुंचाने के लिए एक ऐसी योजना की मंजूरी दे सके तो यह काफी मददगार होगा. राशन कार्ड कोई निवास का प्रमाण या मूल निवास का प्रमाण तो है नहीं, इसलिए किसी योजना में उपेक्षित वर्ग के लोगों को शामिल करना चुनौतीपूर्ण नहीं होगा. अगर जमीनी स्तर पर काम करने वाली संस्थाओं से बेहतर तालमेल हो सकता तो यह हमारे विभाग के लिए भी काफी लाभदायक साबित होता. कई बार हमें आदेश मिलते हैं लेकिन हम ज्यादा महिलाओं तक पहुंचने में असमर्थ रहते हैं. हम मदद करना चाहते है और उसके लिए हम स्थानीय सहयोगियों से मदद की मांग करते हैं.
बातचीत खत्म करने से पहले हम आपसे जानना चाहेंगे कि वह कौन सी महिलाएं है, जिन्होंने आप पर एक छाप छोड़ी है?
मैं अपने शुरुआती दिनों से ही पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से काफी प्रभावित था, वह बहुत प्रभावशाली व गरिमापूर्ण महिला थीं. किरण बेदी भी मेरे लिए एक प्रेरणाश्रोत हैं.