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आदिवासी किशोरी की वाहतुक गंभीर अपराध, नहीं दी जा सकती महिला आरोपित को जमानत: दिल्ली हाई कोर्ट

तारीख:  22 मार्च, 2022

स्रोत (Source): जागरण

तस्वीर स्रोत : जागरण

स्थान : दिल्ली

झारखंड से वाहतुक करके दिल्ली लाई गई 14 वर्षीय आदिवासी नाबालिग बालिका के मामले में आरोपित महिला पूनम को जमानत देने से इन्कार करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने गंभीर टिप्पणी की है. न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह की पीठ ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कम उम्र की एक मासूम बालिका को जघन्य अपराधों का शिकार बनाया गया और कई लोगों ने उसे साथ गंभीर रूप से दुर्व्यवहार, शोषण और प्रताड़ित किया.

पीठ ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा-370 (गुलाम के रूप में किसी भी व्यक्ति को खरीदना या निपटाना) और धारा-376 (दुष्कर्म) के तहत अपराध गंभीर प्रकृति का है और इसके प्रतिकूल सामाजिक प्रभाव हैं. याचिकाकर्ता पर एक नाबालिग बालिका की वाहतुक का आरोप लगाया गया है जो अपने आप में एक जघन्य अपराध है.पूनम पर इसके अलावा 376-डी (उस अस्पताल में किसी भी महिला के साथ अस्पताल के प्रबंधन या स्टाफ के किसी भी सदस्य द्वारा संभोग), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 506 (आपराधिक धमकी), 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया गया था.

पीड़ित आदिवासी बालिका ने अपनी शिकायत में कहा था कि वह झारखंड की एक आदिवासी बालिका है और उसे काम की तलाश में एक छाेटू नाम का व्यक्ति झारखंड से दिल्ली लाया था. इसके बाद उसे प्लेसमेंट एजेंसी चलाने वाले आरोपित आनंद व चिंतामणि के घर पर घरेलू सहायिका के तौर पर रखा गया था.पीड़िता जब भी वेतन की मांग करती तो तो आनंद व चिन्तामणि उसे प्रताड़ित करते हुए मारपीट करते थे.आरोप है कि आरोपित आनंद ने कई बार उसके साथ दुष्कर्म किया और जब उसने इस संबंध में आरोपित चिंतामणि को बताया तो उसने मदद करने के बजाए उसकी पिटाई की. साथ ही को इस बारे में न बताने की धमकी देता था. रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया कि आनंद और चिंतामणि ने उसे उत्तर प्रदेश में याचिकाकर्ता पूनम के पास भेजा. वहीं, पूनम ने पीड़िता को एक सोनू व जसमेस के साथ हरियाणा के कैथल भेज दिया.

पीड़िता का आरोप है कि आरोपित जसमेस ने उसके साथ दुष्कर्म किया करता था और उसके साथ गुलाम जैसा व्यवहार करता था. जसमेर ने पीड़िता को बताया था कि उसने उसे पूनम से दो लाख रुपये में खरीदा था.पीड़िता किसी तरह से जसमेर के पास से भाकर दिल्ली में अपने एक परिचित के पास आ गई और मामला दर्ज कराया था. मामला दर्ज होने के बाद याचिकाकर्ता ने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था और अदालत ने उसे 20 मार्च, 2021 को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.पीठ ने पूरे मामले की गंभीरता और अदालत के समक्ष पेश किए गए साक्ष्यों व दस्तावेजों को देखने के बाद जमानत देने से इन्कार करते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी.वहीं, पूनम ने दलील दी कि वह चिंतामणि की रिश्तेदार है और उसका इस मामले से कुछ लेना देना नहीं है.

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