कोविड-19 के दौरान भारत में हर दिन बालकों के ख़िलाफ़ अपराध के 350 से अधिक मामले दर्ज किए गए
तारीख: 02 अक्टूबर, 2021
स्रोत (Source): द वायर
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स्थान : नई दिल्ली
भारत में साल 2020 में बालकों के खिलाफ अपराध के कुल 1,28,531 मामले दर्ज किए गए, जिसका मतलब है कि महामारी के दौरान हर दिन ऐसे औसतन 350 मामले सामने आए. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों पर एक गैर सरकारी संगठन के विश्लेषण में यह बात कही गई है. हालांकि, बालकों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और शिक्षा को लेकर काम करने वाले गैर सरकारी संगठन चाइल्ड राइट्स एंड यू (CRY- क्राई) ने अपने विश्लेषण में कहा कि 2019 में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों की तुलना में, ऐसे मामलों की कुल संख्या में 13.3 प्रतिशत की गिरावट आई है.
वर्ष 2019 में बालकों के खिलाफ अपराध के 1,48,185 मामले दर्ज किए गए थे, जिसका मतलब है कि देश में हर दिन ऐसे 400 से अधिक अपराध हुए. बाल अधिकार संगठन ने कहा, हालांकि बालकों के खिलाफ अपराधों की कुल संख्या में गिरावट आई है, लेकिन बाल विवाह के मामलों में 50 प्रतिशत का इजाफा हुआ है, जबकि एक वर्ष में ऑनलाइन दुर्व्यवहार के मामलों में 400 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
विश्लेषण से पता चलता है कि भारत में बालकों के खिलाफ अपराधों में पिछले एक दशक (2010-2020) में 381 प्रतिशत की तेज वृद्धि हुई है, जबकि देश में कुल अपराधों की संख्या में 2.2 प्रतिशत की कमी आई है. संगठन ने कहा कि राज्यवार विश्लेषण से पता चलता है कि पूरे देश में बालकों के खिलाफ अपराध के जितने मामले सामने आए, उनमें से 13.2 प्रतिशत मामले मध्य प्रदेश, 11.8 प्रतिशत उत्तर प्रदेश, 11.1 प्रतिशत महाराष्ट्र, 7.9 प्रतिशत पश्चिम बंगाल और 5.5 प्रतिशत बिहार से सामने आए.
देश में सामने आए कुल मामलों में से 49.3 प्रतिशत मामले इन राज्यों से हैं. संगठन की पॉलिसी रिसर्च एंड एडवोकेसी निदेशक प्रीति महारा ने कहा मानवीय संकट के दौरान बाल संरक्षण के मुद्दे गंभीर हो जाते हैं. कोविड के दौरान स्कूल बंद होने, महामारी के प्रसार को रोकने के लिए लगाई गईं पाबंदियों से पैदा हुई आर्थिक सुस्ती ने कमजोर वर्ग के लोगों की आजीविका और घरेलू आर्थिक व खाद्य सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डाला. उन्होंने कहा, इसलिए इस बात की अत्यधिक आशंका है कि इसने बाल श्रम, बाल विवाह, बालकों के वाहतुक के साथ–साथ लिंग आधारित हिंसा के मामलों में वृद्धि में योगदान किया. क्राई के विश्लेषण के अनुसार, बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत 2019 में 525 मामले दर्ज हुए, जबकि 2020 में लगभग 50 फीसदी अधिक यानी 785 मामले दर्ज किए गए. हालांकि, बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 के तहत दर्ज मामलों की संख्या में 2019 में 770 थी. 2020 में ऐसे मामलों में लगभग 38 प्रतिशत की गिरावट देखी गई और इनकी संख्या 476 रही.
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