तेलंगाना और महाराष्ट्र में दर्ज हुए सबसे अधिक मानवी वाहतुक के मामले
तारीख: 22 दिसंबर, 2021
स्रोत (Source): जागरण
तस्वीर स्रोत : जागरण
स्थान : दिल्ली
देश में मानवी वाहतुक नासूर की तरह समस्या बन चुका है. कड़े प्रावधानी और जागरूकता अभियानों के बावजूद भी अपराधियों के हौसले पस्त नहीं हो रहे हैं. मानवी वाहतुक देश में सबसे तेजी से बढ़ता अपराध है. मानवी वाहतुक में कई तरह के अपराध शामिल हैं. इनमें लैंगिक शोषण, जबरन श्रम, घरेलू दासता, जबरन शादी, अंगों को हटाना, बालकों का ऑनलाइन लैंगिक शोषण अन्य शामिल हैं.
बीते कई दशकों से मानवी वाहतुक की प्रकृति और रूप लगातार बदलते रहे हैं. संसद के पटल पर रखी गई रिपोर्ट के अनुसार, मानवी वाहतुक के सबसे अधिक मामले तेलंगाना और महाराष्ट्र में रिपोर्ट किए गए. इन राज्यों में क्रमश : 184 और 184 मामले रिपोर्ट किए गए. केरल में मानवी वाहतुक के 166 मामले रिपोर्ट किए गए तो आंध्र प्रदेश में 171 मामले रिपोर्ट किए गए. उत्तर प्रदेश में 90 मामले रिपोर्ट किए गए तो पश्चिम बंगाल में 90 मामले रिपोर्ट किए गए.
रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में 140 मामले रिपोर्ट किए गए तो 110 मामले में आरोपपत्र दाखिल किया गया. इनमें से 33 मामले में दोषी साबित हुए. इस तरह से झारखंड में दोषसिद्ध होने की दर 19.2 फीसद थी. आंध्र प्रदेश में 171 में से 121 मामलों में आरोपपत्र दाखिल किया गया. पांच मामलों में दोष साबित हुआ.
यहां पर दोषसिद्ध होने की दर 8.2 फीसद रही. मध्य प्रदेश में मानवी वाहतुक के 80 मामले रिपोर्ट किए गए जिसमें से 71 में आरोपपत्र दाखिल किए गए. इस लिहाज से राज्य में मानवी वाहतुक के मामलों में दोषसिद्धि की दर 25 फीसद रही. दिल्ली में मानवी वाहतुक के 53 मामले रिपोर्ट किए गए जिसमें से 27 में आरोपपत्र दाखिल किया गया. इनमें से दो मामलों में दोष साबित हुआ. यहां पर दोषसिद्धि की दर चालीस फीसद रही. देश भर में 2020 में 1714 मामले रिपोर्ट किए गए जिसमें से 1402 में आरोपपत्र दाखिल किया गया. 49 मामलों में दोष साबित हुआ. इस तरह से देश भर में दोष सिद्ध होने का प्रतिशत 10.6 रहा.
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