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बालकों के लैंगिक शोषण के मामले 6 साल में तीन गुना बढ़े,100 शहरों से हर महीने 50 लाख ऑनलाइन कंटेट की डिमांड

तारीख: 23 नवंबर, 2021
स्रोत (Source): टाइम्स नाउ नवभारत

तस्वीर स्रोतटाइम्स नाउ नवभारत

स्थान : भारत

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों को अगर देखा जाय, तो बालकों के खिलाफ लैंगिक शोषण के मामले बढ़ते जा रहे हैं. साल 2015 में पॉस्को एक्ट के तहत 8695 मामले दर्ज किए गए थे. जो कि 2019 में 26,497 और 2020 में 28,327 पहुंच गया. यानी पिछले 6 साल में बालकों के खिलाफ लैंगिक शोषण के मामलों में तीन गुने से भी ज्यादा बढ़ोतरी हुई है. इस दौरान उम्र वर्ग में बालकों के साथ लैंगिक शोषण के मामले सामने आए हैं. लेकिन सबसे ज्यादा 12-18 उम्र के बालक लैंगिक शोषण के शिकार हुए हैं. प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट को 2012 में बालकों के प्रति लैंगिक लैंगिक शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों को रोकने के लिए बनाया गया था. 

रिपोर्ट के अनुसार बालकों का सबसे ज्यादा लैंगिक शोषण, उनके परिचितों के जरिए किया गया है. 2020 की रिपोर्ट के अनुसार 28065 मामलों में से केवल 1131 मामले ऐसे थे, जिसमें बालकों का लैंगिक शोषण किसी अपरिचित व्यक्ति द्वारा किया गया. यानी 96 फीसदी मामले ऐसे रहे, जहां पर बालकों का लैंगिक शोषण उनके दोस्त, रिश्तेदार, पड़ोसी , परिवार के सदस्यों द्वारा किया गया है.

इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार , भारत में Child Sexual abuse matrial की हर महीने ऑनलाइन 50 लाख कंटेट की डिमांड 100 शहरों से है. रिपोर्ट के अनुसर इस तरह के कंटेट इस्तेमाल करने वाले यूजर में 90 फीसदी पुरूष हैं. रिपोर्ट के अनुसार ज्यादातर लोग वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) के जरिए  इस तरह के कंटेट देख रहे हैं. सीबीआई की कार्रवाई में 50 से ज्यादा व्हाट्सएप ग्रुप उसके रडार पर थे. जांच में करीब 5 हजार से ज्यादा लोगों के नाम सामने आए, जो कि बाल लैंगिक शोषण से जुड़ी सामग्री का सोशल मीडिया पर प्रसार कर रहे हैं.

बालकों के खिलाफ लैंगिक शोषण के मामलों को देखा जाय तो 2020 में सबसे ज्यादा मामले मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु , गुजरात , छत्तीसगढ़ में सामने आए हैं. जाहिर है भारत में तेजी से बालकों के खिलाफ लैंगिक शोषण के मामले बढ़ रहे हैं.

 

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