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पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा- अगर पत्नी नाबालिग और शादी वैध नहीं तो भी पति उसका अभिभावक

तारीख: 09 जून, 2021
स्रोत (Source): अमर उजाला

तस्वीर स्रोत: अमर उजाला

स्थान: चंडीगढ़

प्रेम विवाह के एक मामले में बालिका के नाबालिग होने और अपहरण की एफआईआर को रद्द करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि अगर दोनों विवाहित हैं और साथ रह रहे हैं तो पति ही उसका अभिभावक है. ऐसी स्थिति में इसे अपहरण का मामला नहीं माना जा सकता और इस टिप्पणी के साथ ही हाईकोर्ट ने एफआईआर खारिज करने का आदेश जारी कर दिया. 

हरियाणा के पानीपत निवासी युवक ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए बताया कि उसने और शिकायतकर्ता की बेटी ने घर से भाग कर विवाह किया था. इसके चलते पिता ने अपहरण व अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज करवाई थी.

याचिकाकर्ता ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश पर ही डीएसपी के सामने शिकायतकर्ता की बेटी का बयान हुआ था जिसमें उसने कहा था कि उसने अपनी मर्जी से शादी की है और याचिकाकर्ता उसका पति है. इसके बाद सब डिवीजन ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के सामने हुए बयान में भी उसने इसी बात को स्वीकार किया.

हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पक्ष और शिकायतकर्ता को सुनने के बाद कहा कि भले ही बालिका विवाह के समय नाबालिग थी लेकिन उसने अपनी इच्छा से विवाह किया था और वर्तमान में वह साथ रह रहे हैं. हिंदू माइनॉरिटी एंड गार्जियनशिप एक्ट के अनुसार पति लड़की का अभिभावक होने का अधिकार रखता है.

कोर्ट ने कहा कि हिंदू मैरिज एक्ट के अनुसार उस समय इस शादी को वैध नहीं माना जा सकता था और गार्जियन एवं वार्ड्स एक्ट के अनुसार माता-पिता ही कानूनी अभिभावक होते हैं लेकिन इस मामले में दोनों ने परिवार के खिलाफ जाकर विवाह किया और साथ रह रहे हैं तो पति ही अभिभावक है. हाईकोर्ट ने कहा कि यह देखना अहम है कि बालिका का कल्याण किसमें है और इस मामले में बालिका पति के साथ खुशी से रह रही है और ससुराल में उसे कोई समस्या नहीं है. ऐसे में पति के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई जारी रखने का कोई औचित्य नहीं बनता है.

 

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