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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी और राज्य न्यायिक अकादमियां लैंगिक शोषण मामलों से निपटने में ट्रायल जज और अपीलीय न्यायाधीशों को संवेदनशील बनाएं

तारीख: 29 अप्रैल, 2021
स्रोत (Source): अमर उजाला

तस्वीर स्रोत: Google Image

स्थान: दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि दिव्यांग पीड़िता व दिव्यांग लोगों की गवाही को कमजोर नहीं माना जाना चाहिए. शीर्ष अदालत ने यह कहते हुए आपराधिक न्याय प्रणाली को और अधिक दिव्यांग अनुकूल बनाने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि दिव्यांग पीड़िता और दिव्यांग गवाहों के बयान को सिर्फ इसलिए कमजोर नहीं माना जा सकता कि ऐसा व्यक्ति दुनिया के साथ एक अलग तरीके से बातचीत या बर्ताव करता है. पीठ ने कहा, इस सबंध में कानून में महत्वपूर्ण बदलाव भी हुए. लेकिन इसमें और भी काम करने की जरूरत है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उन लोगों तक इसका लाभ पहुंचे. सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध के कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी और राज्य न्यायिक अकादमियों से अनुरोध है कि वे लैंगिक शोषण मामलों से निपटने में ट्रायल जज और अपीलीय न्यायाधीशों को संवेदनशील बनाएं. प्रशिक्षण के दौरान ऐसे पीड़ितों से संबंधित विशेष प्रावधानों से न्यायाधीशों को परिचित कराना चाहिए. सरकारी वकीलों को भी इसी तरह का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए. साथ ही कोर्ट ने कहा है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया, एलएलबी प्रोग्राम में ऐसे कोर्स शुरू करने पर विचार कर सकता है। इसके अलावा प्रशिक्षित विशेष शिक्षकों और द्विभाषिये की नियुक्ति की जाए.

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