स्वेच्छा से लैंगिक संबंध प्रजनन अधिकार का त्याग नहीं : अदालत
तारीख: 06 अक्टूबर, 2021
स्रोत (Source): हिन्दुस्तान
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स्थान : नई दिल्ली
एक महिला अपने साथी के साथ स्वेच्छा से लैंगिक संबंध बनाती है तो वह अपनी स्वायत्तता प्रयोग करती है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उसने अपने प्रजनन अधिकारों का त्याग करने की सहमति दी है. अदालत ने यह टिप्पणी एक महिला का लैंगिक शोषण और कई बार बलात्कार करने के आरोपी की जमानत याचिका को खारिज करते हुए की.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल गोगने की अदालत ने कहा कि एक महिला का लैंगिक विकल्पों का प्रयोग करना उसके साथी को उसका लैंगिक शोषण करने का अधिकार नहीं देता. जब वह अपने साथी के साथ लैंगिक संबंध में प्रवेश करती है तो वह प्रजनन अधिकारों सहित अपने अधिकारों का त्याग नहीं करती है. महिला चौथी बार आठ महीने की गर्भवती थी और उसने आरोप लगाया कि आरोपी उसके साथ मारपीट करता है. अदालत ने कहा कि जब लैंगिक संबंध सुसंगत और लंबी अवधि के हों तो सहमति आधारित संबंधों में प्रजनन का अधिकार बना रहता है. अदालत ने कहा कि आरोपी ने महिला का लैंगिक शोषण और प्रजनन अधिकारों का उल्लंघन दोनों किया है.
अदालत ने कहा कि एक महिला द्वारा लैंगिक विकल्प का प्रयोग करने से साथी को उसका लैंगिक शोषण का अधिकार नहीं मिलता. एक महिला अपने साथी के साथ लैंगिक संबंध में प्रवेश करती है तो वह अपने अन्य अधिकारों का त्याग नहीं करती है, जिसमें प्रजनन का अधिकार भी शामिल है. यह कहते हुए अदालत ने इस मामले के आरोपी को राहत देने से इनकार कर दिया है.
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