एनसीआरबी: मानवी वाहतुक कोरोना काल में भी नहीं घटी, कुल पीड़ितों में पचास फीसदी नाबालिग
तारीख: 19 सितंबर, 2021
स्रोत (Source): अमर उजाला
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स्थान : दिल्ली
कोरोना वायरस महामारी के चलते साल 2020 में भले ही आवाजाही से जुड़े प्रतिबंधों के चलते आम आदमी के लिए एक जगह से दूसरी जगह जाना आसान नहीं रहा, लेकिन मानवी वाहतुक का धंधा इस दौरान भी फीका नहीं पड़ा. एनसीआरबी की तरफ से जारी साल 2020 की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) ने मानवी वाहतुक से जुड़े 1,714 मामले दर्ज किए, जबकि साल 2019 में ऐसे 2,260 मामले और साल 2018 में 2,278 मामले सामने आए थे.
रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी एजेंसियों की तरफ से दर्ज अधिकतर मामले देह व्यापार के लिए लैंगिक शोषण, जबरन मजदूरी और घरेलू गुलाम बनाए जाने से जुड़े हैं. मानवी वाहतुक के सबसे ज्यादा 184-184 मामले महाराष्ट्र व तेलंगाना में सामने आए, जबकि आंध्र प्रदेश में 171, केरल में 166, झारखंड में 140 और राजस्थान में ऐसे 128 केस दर्ज हुए.
रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 2020 में दर्ज मामलों में मानवी वाहतुक का शिकार हुए 4708 पीड़ितों में से 2222 नाबालिग थे यानी उनकी उम्र 18 साल से कम थी. देह व्यापार के लिए उत्पीड़न के 1466 मामले, जबरन मजदूरी के 1452 मामले और घरेलू गुलामी के 846 मामले दर्ज किए गए हैं.
डेटा के हिसाब से मानवी वाहतुक के महत 10.6 फीसदी मामलों में ही आरोपियों पर आरोप सिद्ध हो पाए हैं, जबकि सात राज्यों में किसी भी मामले में दोष सिद्ध नहीं हो पाया. आरोपियों को सजा दिलाने में सबसे आगे तमिलनाडु रहा, जहां 66 फीसदी मामलों में अभियोजन दोष सिद्ध करने में सफल रहा. इसके बाद दिल्ली में 40 फीसदी मामलों में सजा मिली है.
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