गुवाहाटी हाईकोर्ट ने पोकसो मामलों से निपटने के लिए राज्य में जल्द-से-जल्द बाल हितैषी अदालतें शुरू करने के आदेश दिए
तारीख: 19 जुलाई, 2021
स्रोत (Source): लाइव लॉ हिंदी
तस्वीर स्रोत : लाइव लॉ हिंदी
स्थान : असम
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने शुक्रवार (16 जुलाई) को महाधिवक्ता को राज्य सरकार के साथ इस मुद्दे को उठाने के लिए कहा कि लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोकसो) मामलों से निपटने के लिए राज्य में बाल हितैषी अदालतें (Child Friendly Court) जल्द से जल्द शुरू की जाएं. दरअसल, अरुणाचल प्रदेश राज्य में कोई बाल हितैषी अदालतें नहीं हैं. मुख्य न्यायाधीश सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति मनश रंजन पाठक की खंडपीठ एक नाबालिग बलात्कार पीड़िता की दुर्दशा से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी, जब एक कलुंग द्वारा लापता रिपोर्ट दर्ज कराई गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि उसकी नाबालिग घरेलू सहायिका इस साल के 1 मार्च से गायब है.
घरेलू सहायिका के रूप में काम करने वाली पीड़ित बालिका के साथ घर के मालिक ने कथित तौर पर बलात्कार और लैंगिक शोषण किया. उसे वर्ष 2017 में नेपाल से घरेलू सहायिका के रूप में लाया गया था. महाधिवक्ता ने न्यायालय को अवगत कराया कि अरुणाचल प्रदेश राज्य में कोई बाल हितैषी न्यायालय नहीं है, जो किशोर न्याय (बालकों की देखभाल और संरक्षण) मॉडल नियमों के नियम 54 के उप–नियम 18 के जनादेश के खिलाफ जाता है. साल 2016 में कहा गया है कि एक बाल हितैषी न्यायालय होगा जहां पोकसो से संबंधित मामलों को उठाया जाएगा.
अरुणाचल प्रदेश के महाधिवक्ता एन दत्ता इस मामले में पेश हुए हैं. हम महाधिवक्ता से अनुरोध करते हैं कि जितनी जल्दी हो सके इस मामले को राज्य सरकार के साथ उठाएं ताकि कम से कम एक बाल हितैषी न्यायालय का निर्माण किया जा सके और अरुणाचल प्रदेश राज्य में जल्द से जल्द कार्यात्मक बनाया जाए.
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