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नाबालिग से दुष्कर्म का मामला: मप्र हाई कोर्ट ने कहा- पुलिस भरोसे के लायक नहीं

तारीख: 24 जून, 2021
स्रोत (Source): जागरण

तस्वीर स्रोत : जागरण

स्थान : मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा है कि जो पुलिस नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपित की ही मदद करती रही, वह भरोसे के लायक नहीं हो सकती. लिहाजा, पूरे मामले की सीबीआई जांच हो और दोषी अधिकारियों पर दलित उत्पीड़न के तहत एफआइआर दर्ज हो. 

मामला जनवरी में अनुसूचित जाति की नाबालिग लड़की से दुष्कर्म का है. पुलिस ने आरोपित पर कार्रवाई न करते हुए उल्टे पीड़िता को न सिर्फ प्रताड़ित किया था बल्कि बयान बदलने के लिए थाने में उसके साथ मारपीट भी की गई थी. पुलिस अधिकारियों पर 50 हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया गया है.

पीड़ित परिवार ने पुलिस द्वारा की जा रही इस ज्यादती के खिलाफ कोर्ट की शरण ली थी, जिस पर बुधवार (23 जून) को कोर्ट ने अब आदेश दिया है. कोर्ट ने 129 पेज के आदेश में पुलिस की भूमिका पर कई सवाल खड़े किए हैं. अधिवक्ता अनिल मिश्रा के अनुसार कोर्ट ने सीबीआई निदेशक को निर्देशित किया है कि किसी वरिष्ठ अधिकारी को इस मामले की जांच दी जाए. 

आरोपित आदित्य सिंह भदौरिया के दादा गंगा सिंह भदौरिया और पुलिस अधिकारियों के फोन कॉल की जांच की जाए. साथ ही गड़बड़ी करने वाले सभी अधिकारियों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की जाए. अब कोर्ट के आदेश के बाद मुरार थाना प्रभारी अजय पवार व सब इंस्पेक्टर कीर्ति उपाध्याय के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी. वहीं, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुमन गुर्जर, सीएसपी आरएन पचौरी और थाना प्रभारी सिरोल प्रीति भार्गव के खिलाफ विभागीय जांच होगी.        

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