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‘पिता बेटी का रक्षक है, इससे गंभीर कोई अपराध नहीं हो सकता’: केरल हाईकोर्ट ने पिता द्वारा लड़की के लैंगिक उत्पीड़न के मामले में कहा

तारीख: 20 अक्टूबर, 2021
स्रोत (Source): लाइव लॉ हिंदी

तस्वीर स्रोतलाइव लॉ हिंदी

स्थान : केरल

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में आईपीसी की धारा 376 के तहत एक व्यक्ति को दोषी करार देने के फैसले को बरकरार रखते हुए और उसे 12 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाते हुए कहा किपिता द्वारा अपनी ही बेटी के साथ बलात्कार करने से ज्यादा गंभीर और जघन्य अपराध कुछ भी नहीं हो सकता.” न्यायमूर्ति आर. नारायण पिशारदी की पीठ उस 16 साल की लड़की के मामले की सुनवाई कर रही थी, जो अपने पिता के बारबार लैंगिक उत्पीड़न का शिकार हुई और आखिरकार एक साल बाद उसने अपने पिता के बालक को जन्म दिया.

कोर्ट ने कहा, ”रक्षक ही भक्षक बन गया. पिता अपनी बेटी का रक्षक और पनाह देने वाला होता है. अपनी ही बेटी का अपनी शरण में रहने के दौरान बलात्कार करने का आरोप, जंगली पक्षियों की शिकार से रक्षा करने वाले (गेमकीपर) का खुद शिकारी बनने और ट्रेजरी गार्ड के डाकू बनने से भी बदतर है.” हालांकि कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता(आईपीसी) की धारा 506 (ii) और लैंगिक अपराधों से बालका के संरक्षण अधिनियम, 2012 (पॉक्सो एक्ट)की धारा 6 के तहत दी गई सजा को रद्द कर दिया.

कोर्ट ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में हुई देरी, पीड़ितलड़की की विश्वसनीयता, उम्र के प्रमाण और पीड़ित की सहमति होने के कानूनी सवालों पर भी विचार किया है. पृष्ठभूमि अभियोजन पक्ष का आरोप है कि पीड़ित लड़की के पिता/आरोपी ने बारबार उसका लैंगिक उत्पीड़न किया और कई मौकों पर उसके साथ बलात्कार किया गया. लड़की गर्भवती हुई और उसने एक लड़के को जन्म दिया. पुलिस को अपराध की सूचना देने पर, उप निरीक्षक ने आईपीसी की धारा 376 और 506 और पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत मामला दर्ज किया.

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