मद्रास उच्च न्यायालय ने पोकसो अधिनियम के तहत मामलों की सुनवाई करने वाले न्यायाधीशों को विशेष प्रशिक्षण देने की अनुशंसा की
तारीख: 21 जुलाई, 2021
स्रोत (Source): नवभारत टाइम्स
तस्वीर स्रोत : नवभारत टाइम्स
स्थान : तमिलनाडु
मद्रास उच्च न्यायालय ने पोकसो अधिनियम (लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम) के तहत मामलों की सुनवाई करने वाले न्यायाधीशों को विशेष प्रशिक्षण देने की अनुशंसा की है ताकि वे उचित तरीके से और सही फैसला दे सकें.
न्यायमूर्ति पी वेलुमुरुगन ने यह अनुशंसा हाल में एक बालिका से दुष्कर्म करने के एक आरोपी की फौजदारी अपील खारिज करते हुए की. आरोपी ने निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने और सजा देने के फैसले को चुनौती दी थी. निचली अदालत ने फैसला दिया था कि अलग–अलग धाराओं में सुनाई गई सजा साथ–साथ चलेगी जबकि न्यायमूर्ति का कहना था कि सजा एक के बाद एक चलनी चाहिए.
न्यायमूर्ति ने कहा, ‘‘ यहां उल्लेख करना उचित होगा कि निचली अदालत के न्यायाधीश पीड़ित बालिका की उम्र पर संज्ञान लेने और पोकसो अधिनियम के प्रावधानों की प्रासंगिकता को समझने में असफल रहे.’’ न्यायमूर्ति ने कहा कि कई मामलों में विशेष न्यायाधीश जो पोकसो अधिनियम के तहत मामलों की सुनवाई करते हैं, सही तरीके से उसकी व्यापकता और उद्देश्य को नहीं समझते हैं. पोकसो अधिनियम के तहत कोई भी मामला विशेष अदालत में विशेष न्यायाधीश के समक्ष भेजने से पहले जरूरी है कि उन्हें संवेदनशील बनाया जाए और तमिलनाडु राज्य न्यायिक अकादमी में इसका प्रशिक्षण दिया जाए.
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