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राजस्थान के बारां में 30 हजार की वसूली के लिए रख दिया था आदिवासी परिवार को गिरवी, बंधुआ मजदूरी से कराया गया मुक्त

तारीख: 07 दिसंबर, 2021
स्रोत (Source): ज़ी न्यूज

तस्वीर स्रोतज़ी न्यूज

स्थान : राजस्थान

 

राजस्थान के बारां जिले की अटरू तहसील में सहरिया आदिवासी परिवार को मानवी वाहतुक के जरिए पहुंचाया गया है, जहां पर इस सहरिया परिवार के प्रत्येक सदस्य से बंधुआ मजदूरी करवाई जा रही है. जिसको लेकर एक सामाजिक संस्था ओर प्रशासन की मदद से आदिवासी परिवार को मुक्त कराया गया है. 

 

नेशनल कैंपेन कमिटी फॉर इरेडिकेशन ऑफ बॉन्डेड लेबर के राष्ट्रीय कन्वेनर निर्मल गोराना अग्नि ने बताया की 26 नवंबर  को कलेक्टर बारां और एसडीएम अटरू को लिखित शिकायत दी गई. अटरू क्षेत्र में एक सहरिया आदिवासी परिवार को मानवी वाहतुक एवं बंधुआ मजदूरी  से मुक्त कराने हेतु मांग की गई.

 

बंधुआ मजदूर करण सहरिया जो कि सोठी तहसील जिला गुना मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) का रहने वाला है. सहरिया आदिवासी परिवार देश में कोरोना महामारी एवं लॅाकडाउन के चलते रोजगार (Employment) न मिलने की वजह से भूखमरी से जूझ रहा था. वहीं अटरू निवासी दिनेश नामक व्यक्ति ने करण सहरिया की मजबूरी का फायदा उठा कर उसको 30000 एडवांस राशि के रूप में दिए और उस 30,000 की वसूली के लिए दिनेश ने आदिवासी करण सहरिया एवं उसकी पत्नी के साथ उसके दो नाबालिग मासूम बालकों को अटरू तहसील के महेशपुरा गांव में रहने वाले भगवान मीणा के घर गिरवी रख दिया.

 

अटरू प्रशासन के साथ सोशल लीगल इनफॉरमेशन सेंटर के अधिवक्ता आमीन खान, बंधुआ मुक्ति मोर्चा गुना के जिला संयोजक नरेंद्र भदोरिया तथा नेशनल कैंपेन कमिटी फॉर इरेडिकेशन ऑफ बॉन्डड लेबर के राजाराम ने संयुक्त रूप से मिलकर करण सहरिया के परिवार को मानवी वाहतुक एवं बंधुआ मजदूरी करवा रहे भगवान मीणा के चंगुल से मुक्त करवाया.

 

 

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