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‘शर्म की बात है कि हर दूसरा मामला नाबालिग के बलात्कार से संबंधित है’: केरल उच्च हाईकोर्ट ने POCSO के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई

तारीख: 21 सितंबर, 2021
स्रोत (Source): लाइव लॉ

तस्वीर स्रोत : लाइव लॉ

स्थान : केरल

केरल हाईकोर्ट ने राज्य में नाबालिगों के बलात्कार के बढ़ते मामलों से चिंतित ने एक आपराधिक अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह शर्म की बात है कि हर दूसरा मामला नाबालिग के बलात्कार से संबंधित है. न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति ज़ियाद रहमान ए की खंडपीठ ने अपने पड़ोस में रहने वाली एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के आरोपी की दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए कहा कि अभियोजन द्वारा पेश किए गए सबूतों में कोई विसंगति नहीं है.

अभियोजन का मामला यह है कि 14 वर्षीय पीड़िता को उसके पड़ोसी ने उस समय पीटा जब वह अपने घर में अकेली थी और जबरदस्ती छेड़छाड़ की. आरोप है कि उसे घर के अंदर खींचकर खाट पर फेंका और जबरदस्ती लैंगिक शोषण किया. जब पीड़िता ने निचली अदालत के समक्ष मुख्य परीक्षण में घटना का वर्णन किया तो घटना का अत्यधिक ग्राफिक वर्णन किया गया. पीड़िता ने आरोप लगाया कि जब उसकी मां घर आई तो आरोपी मौके से फरार हो गया. उसने दावा किया कि आरोपी ने उसे घटना के बारे में किसी को नहीं बताने के लिए कहा. हालांकि, उसने अपनी मां को इसका खुलासा किया और अगले दिन एफआईआर दर्ज कराई.

इसके बाद, सत्र न्यायालय ने आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(i) (बलात्कार), 470 और पॉक्सो एक्ट की धारा 5 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दोषी ठहराया. अपील में, आरोपी ने तर्क दिया कि उसे उचित कानूनी सहायता प्रदान नहीं की गई है. कई पहलुओं को इंगित किया जहां अपराधी ने सजा में कमी की मांग की, भले ही सजा की पुष्टि की गई हो. अभियोजन पक्ष ने स्थापित किया कि पीड़िता अपना जन्म प्रमाण पत्र पेश कर चुकी है कि वह नाबालिग है और अदालत को आश्वस्त किया कि निचली अदालत मुख्य परीक्षण को रिकॉर्ड करने में काफी सावधानी बरती थी.

 

 

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